हमारे शहर में आने की सूरत चाहती हैं

हमारे शहर में आने की सूरत चाहती हैं

हवाएँ बारयाबी की इजाज़त चाहती हैं

परिंदों से दर-ओ-दीवार ख़ाली हो गए हैं

मिरी आँखें नगर को ख़ूबसूरत चाहती हैं

लिखे भी जाओ लौह-ए-ख़ाक पर नक़्श-ए-उदासी

कि आती साअतें हर्फ़-ए-शहादत चाहती हैं

दिलों में क़ैद ना-आसूदा सारी इल्तिजाएँ

हिसार-ए-हर्फ़ में आने की मोहलत चाहती हैं

ज़बानों पर लिखी ज़ख़्म-ए-ज़बाँ की लज़्ज़तें अब

दर-ओ-दीवार पर रंग-ए-जराहत चाहती हैं

बहुत से ख़्वाब इन में धुँद बन कर रह गए हैं

ये आँखें इज़्न-ए-गिर्या की सआदत चाहती हैं

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Hamare Shahr Mein Aane Ki Surat Chahti Hain In Hindi By Famous Poet Zulfiqar Ahmad Tabish. Hamare Shahr Mein Aane Ki Surat Chahti Hain is written by Zulfiqar Ahmad Tabish. Complete Poem Hamare Shahr Mein Aane Ki Surat Chahti Hain in Hindi by Zulfiqar Ahmad Tabish. Download free Hamare Shahr Mein Aane Ki Surat Chahti Hain Poem for Youth in PDF. Hamare Shahr Mein Aane Ki Surat Chahti Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Hamare Shahr Mein Aane Ki Surat Chahti Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.