Ghazals of Zulfiqar Ahmad Tabish
नाम | ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Zulfiqar Ahmad Tabish |
ये शोर-ओ-शर तो पहले दिन से आदम-ज़ाद में है
वो सानेहा हुआ था कि बस दिल दहल गए!
पेड़ों की घनी छाँव और चैत की हिद्दत थी
नदी किनारे बैठे रहना अच्छा है
कुछ गुनह नहीं इस में ए'तिराफ़ ही कर लो
कातता हूँ रात-भर अपने लहू की धार को
इन लबों से अब हमारे लफ़्ज़ रुख़्सत चाहते हैं
हम ने सारे हर्फ़ लिखे तो किस के लिए
हमारे शहर में आने की सूरत चाहती हैं
बे-सबात सुब्ह शाम और मिरा वजूद