ये किस ने हात पेशानी पे रक्खा
हमारी नींद पूरी हो गई है
Wasi Shah
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1180) Peoples Rate This
शब में दिन का बोझ उठाया दिन में शब-बेदारी की
हमें यूँही न सर-ए-आब-ओ-गिल बनाया जाए
दिल में रहता है कोई दिल ही की ख़ातिर ख़ामोश
सुनते हैं जो हम दश्त में पानी की कहानी
बड़ी मुश्किल कहानी थी मगर अंजाम सादा है
ये मेज़ ये किताब ये दीवार और मैं
निकला हूँ शहर-ए-ख़्वाब से ऐसे अजीब हाल में
बैठे बैठे इसी ग़ुबार के साथ
किसी का ख़्वाब किसी का क़यास है दुनिया
सो लेने दो अपना अपना काम करो चुप हो जाओ
अश्क गिरने की सदा आई है