सुनते हैं जो हम दश्त में पानी की कहानी
आज़ार का आज़ार कहानी की कहानी
दरिया तो कहीं ब'अद में दरयाफ़्त हुए हैं
आग़ाज़ हुई दिल से रवानी की कहानी
सुनता हो अगर कोई तो 'आदिल' वो दर-ओ-बाम
कहते हैं मिरी नक़्ल-ए-मकानी की कहानी
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Anwar Masood
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1191) Peoples Rate This
यूँ उठे इक दिन कि लोगों को हुआ
हुई आग़ाज़ फूलों की कहानी
बैठे बैठे इसी ग़ुबार के साथ
मैं जहाँ था वहीं रह गया माज़रत
सो लेने दो अपना अपना काम करो चुप हो जाओ
शब में दिन का बोझ उठाया दिन में शब-बेदारी की
शुक्र किया है इन पेड़ों ने सब्र की आदत डाली है
दश्त-ओ-दरिया की इब्तिदा से हैं
जाने हम ये किन गलियों में ख़ाक उड़ा कर आ जाते हैं
हम जाना चाहते थे जिधर भी नहीं गए
सहराओं के दोस्त थे हम ख़ुद-आराई से ख़त्म हुए
सारा बाग़ उलझ जाता है ऐसी बे-तरतीबी से