किसी का ख़्वाब किसी का क़यास है दुनिया

किसी का ख़्वाब किसी का क़यास है दुनिया

मिरे अज़ीज़ यहाँ किस के पास है दुनिया

ये ख़ून और पसीने की बू नहीं जाती

न जाने किस के बदन का लिबास है दुनिया

हमारे हल्क़ से इक घूँट भी नहीं उतरी

बस एक और ही दुनिया की प्यास है दुनिया

मिरे क़लम की सियाही का एक क़तरा है

मिरी किताब से इक इक़्तिबास है दुनिया

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