हम जाना चाहते थे जिधर भी नहीं गए

हम जाना चाहते थे जिधर भी नहीं गए

और इंतिहा तो ये है कि घर भी नहीं गए

वो ख़्वाब जाने कैसे ख़राबे में गुम हुए

इस पार भी नहीं हैं इधर भी नहीं गए

साहिब तुम्हें ख़बर ही कहाँ थी कि हम भी हैं

वैसे तो अब भी हैं कोई मर भी नहीं गए

बारिश हुई तो है मगर इतनी कि ये ज़रूफ़

ख़ाली नहीं रहे हैं तो भर भी नहीं गए

'आदिल' ज़मीन-ए-दिल से ज़माने ख़याल के

गुज़रे कुछ इस तरह कि गुज़र भी नहीं गए

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Hum Jaana Chahte The Jidhar Bhi Nahin Gae In Hindi By Famous Poet Zulfiqar Aadil. Hum Jaana Chahte The Jidhar Bhi Nahin Gae is written by Zulfiqar Aadil. Complete Poem Hum Jaana Chahte The Jidhar Bhi Nahin Gae in Hindi by Zulfiqar Aadil. Download free Hum Jaana Chahte The Jidhar Bhi Nahin Gae Poem for Youth in PDF. Hum Jaana Chahte The Jidhar Bhi Nahin Gae is a Poem on Inspiration for young students. Share Hum Jaana Chahte The Jidhar Bhi Nahin Gae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.