ज़ुबैर शिफ़ाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ुबैर शिफ़ाई
नाम | ज़ुबैर शिफ़ाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Zubair Shifai |
उठा कर बर्क़-ओ-बाराँ से नज़र मंजधार पर रखना
तेज़ हो जाएँ हवाएँ तो बगूला हो जाऊँ
रात के पिछले पहर इक सनसनाहट सी हुई
तिलस्माती फ़ज़ा तख़्त-ए-सुलैमाँ पर लिए जाना
रात के पिछले पहर इक सनसनाहट सी हुई
क़मर-गज़ीदा नज़र से हाला कहाँ से आया
जबीं से नाख़ुन-ए-पा तक दिखाई क्यूँ नहीं देता
घर नहीं बस्ती नहीं शोर-ए-फ़ुग़ाँ चारों तरफ़ है
फ़स्ल की जल्वागरी देखता हूँ
चारों तरफ़ हैं ख़ार-ओ-ख़स दश्त में घर है बाग़ सा