रद्द-ए-अमल

मुझे ये यक़ीं था

कि जब मैं सुनाऊँगा

इस शहर को

शब के पहलू में किस तरह पाया है मैं ने

तो सब लोग मेरे क़रीब आ के

हैरत से मुझ को तकेंगे

भरी पियालियाँ चाय की

हाथ से छूट कर गिर पड़ेंगी

निगाहों में

गहरी उदासी के बादल उमडने लगेंगे

नए मुआशरे की

बद-आमालियों और बद-चलनियों पर

बड़े सख़्त लहजे में तन्क़ीद होगी

मगर कोई प्याली न हाथों से छूटी

न गहरी उदासी निगाहों में उमडी

नए मुआशरे की

बद-आमालियों और बद-चलनियों पर

किसी ने न संग-ए-मलामत ही फेंका

सुना सिर्फ़ इतना

अभी तुम को इस शहर के जानने में कई दिन लगेंगे

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Radd-e-amal In Hindi By Famous Poet Zubair Rizvi. Radd-e-amal is written by Zubair Rizvi. Complete Poem Radd-e-amal in Hindi by Zubair Rizvi. Download free Radd-e-amal Poem for Youth in PDF. Radd-e-amal is a Poem on Inspiration for young students. Share Radd-e-amal with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.