इक तेरे सिवा

आ हिज्र के मौसम

बाहोँ में

मैं आज तुझे गुल-पोश करूँ

जी भर के मलूँ

इक तेरे सिवा

हर मौसम ने

इस के नामे ला ला के दिए

हम जिन पे जिए

इक तेरे सिवा

हर मौसम ने

उस के वा'दों को सच जाना

इक शब की उमीदों पे रक्खा

ऐ हिज्र के मौसम

पास तो आ

मैं आज तुझे गुल पोश करूँ

इक तो ही अकेला सच निकला

दिलदार मिरा झूटा निकला

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