वो आ गया तो सारा परी-ख़ाना जी उठा
वो आ गया तो सारा परी-ख़ाना जी उठा
आराइश-ए-जमाल से आईना जी उठा
मुझ तक पहुँच गया तो बड़ी बात जानिए
आवाज़-ए-पा से जिस की मिरा ज़ीना जी उठा
यारान-ए-मय-कदा जो कभी याद आ गए
मुझ में ख़ुमार-ए-महफ़िल-ए-पारीना जी उठा
थे दीदनी लिबासों में तर्शे हुए बदन
ओढ़ी जो उस ने शाल तो पश्मीना जी उठा
चाय की मेज़ पर गई शामों का ज़िक्र था
मुझ में भी इक तअल्लुक़-ए-देरीना जी उठा
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