Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_af3f247cb49c10492802275e4961abdf, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कई कोठे चढ़ेगा वो कई ज़ीनों से उतरेगा - ज़ुबैर रिज़वी कविता - Darsaal

कई कोठे चढ़ेगा वो कई ज़ीनों से उतरेगा

कई कोठे चढ़ेगा वो कई ज़ीनों से उतरेगा

बदन की आग ले कर शब गए फिर घर को लौटेगा

गुज़रती शब के होंटों पर कोई बे-साख़्ता बोसा

फिर इस के बाद तो सूरज बड़ी तेज़ी से चमकेगा

हमारी बस्तियों पर दूर तक उमडा हुआ बादल

हवा का रुख़ अगर बदला तो सहराओं पे बरसेगा

ग़ज़ब की धार थी इक साएबाँ साबित न रह पाया

हमें ये ज़ोम था बारिश में अपना सर न भीगेगा

मैं उस महफ़िल की रौशन साअतों को छोड़ कर गुम हूँ

अब इतनी रात को दरवाज़ा अपना कौन खोलेगा

मिरे चारों तरफ़ फैली है हर्फ़-ओ-सौत की दुनिया

तुम्हारा इस तरह मिलना कहानी बन के फैलेगा

पुराने लोग दरियाओं में नेकी डाल आते थे

हमारे दौर का इंसान नेकी कर के चीख़ेगा

(1233) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kai KoThe ChaDhega Wo Kai Zinon Se Utrega In Hindi By Famous Poet Zubair Rizvi. Kai KoThe ChaDhega Wo Kai Zinon Se Utrega is written by Zubair Rizvi. Complete Poem Kai KoThe ChaDhega Wo Kai Zinon Se Utrega in Hindi by Zubair Rizvi. Download free Kai KoThe ChaDhega Wo Kai Zinon Se Utrega Poem for Youth in PDF. Kai KoThe ChaDhega Wo Kai Zinon Se Utrega is a Poem on Inspiration for young students. Share Kai KoThe ChaDhega Wo Kai Zinon Se Utrega with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.