नज़र नज़र से मिलाओगे मारे जाओगे
नज़र नज़र से मिलाओगे मारे जाओगे
ज़ियादा बोझ उठाओगे मारे जाओगे
कोई नहीं है यहाँ ए'तिबार के क़ाबिल
किसी को राज़ बताओगे मारे जाओगे
हर एक शाख़ पे छिड़का हुआ है ज़हर यहाँ
शजर को हाथ लगाओगे मारे जाओगे
जो काँधे पर हो वो गर्दन उतार लेता है
किसी को ऊँचा उठाओगे मारे जाओगे
हर एक आईना मंज़र जुदा बनाता है
नज़र का बोझ उठाओगे मारे जाओगे
धुएँ में मिलना मुक़द्दर है इन लकीरों का
हवा में नक़्श बनाओगे मारे जाओगे
ये नफ़सियाती मरीज़ों का शहर है 'क़ैसर'
कोई सवाल उठाओगे मारे जाओगे
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