अब तलक उस को ध्यान हो मेरा
क्या पता ये गुमान हो मेरा
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बस मैं मायूस होने वाला था
किसी भूके से मत पूछो मोहब्बत किस को कहते हैं
तुम्हारे ग़म से तौबा कर रहा हूँ
बैठे-बैठे इक दम से चौंकाती है
बिछड़ कर भी हूँ ज़िंदा रहने वाला
हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है
अब उस का वस्ल महँगा चल रहा है
भरे हुए जाम पर सुराही का सर झुका तो बुरा लगेगा
आज तो दिल के दर्द पर हँस कर
इस दर का हो या उस दर का हर पत्थर पत्थर है लेकिन
आइना कब बनाओगे मुझ को
एक पहुँचा हुआ मुसाफ़िर है