ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब
नाम | ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब |
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अंग्रेज़ी नाम | Ziauddin Ahmad Shakeb |
यक़ीं गर करो तुम बहुत ख़ूब है
पास-ए-पिंदार-ए-तबीअत दिल अगर रख ले तो क्या
पड़ती नहीं है दिल पे तिरे हुस्न की किरन
मुख़्तसर बात-चीत अच्छी है
मेरी तज्वीज़ पर ख़फ़ा क्यूँ हो
जुनूँ शोला-सामाँ ख़िरद शबनम-अफ़्शाँ
जब तक कि मोहब्बत का चलन आम रहेगा
इतने नादिम न होइए आख़िर
इसी तरह बातें किए जाइए
हम से वाइज़ ने बात की होती
हमें भी ज़रूरत थी इक शख़्स की
गोश-ए-मुश्ताक़-ए-सदा-ए-नाला-ए-दिल अब कहाँ
गो उन्हें राह-ए-इंहिराफ़ नहीं
फ़िक्र-मंदी फ़ुज़ूल होती है
दीवाना-ए-जुस्तुजू हो गया चाँद
अक़्ल कुछ ज़ीस्त की कफ़ील नहीं
आरिज़ से तिरे सुब्ह की तोहमत न उठेगी
आप के साथ मुस्कुराने में
जुनून-ए-इश्क़-ए-सर बेदार भी है