तक रहा है तू आसमान में क्या
तक रहा है तू आसमान में क्या
है अभी तक किसी उड़ान में क्या
वो जो इक तुझ को जाँ से प्यारा था
अब भी आता है तेरे ध्यान में क्या
क्या नहीं होगी फिर मिरी तकमील
कोई तुझ सा नहीं जहान में क्या
हम तो तेरी कहानी लिख आए
तू ने लिक्खा है इम्तिहान में क्या
हो ही जाते हैं जब जुदा दोनों
फिर तअ'ल्लुक़ है जिस्म-ओ-जान में क्या
हम क़फ़स में हैं उड़ने वाले बता
है वही लुत्फ़ आसमान में क्या
पढ़ रहे हो जो इतनी ग़ौर से तुम
कुछ नया-पन है दास्तान में क्या
उर्दू वाले कमाल दिखते हैं
कोई जादू है इस ज़बान में क्या
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