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इश्क़ जब तुझ से हुआ ज़ेहन के जुगनू जागे - ज़िया ज़मीर कविता - Darsaal

इश्क़ जब तुझ से हुआ ज़ेहन के जुगनू जागे

इश्क़ जब तुझ से हुआ ज़ेहन के जुगनू जागे

लफ़्ज़ पैकर में ढले सोच के पहलू जागे

देखिए खिलता है अब कौन से एहसास का फूल

देखिए रूह में अब कौन सी ख़ुशबू जागे

जाने कब मेरे थके जिस्म की जागे क़िस्मत

जाने कब यार तिरे लम्स का जादू जागे

जागते तन्हा यही सोचता रहता हूँ मैं

रतजगा कैसा हो गर साथ मिरे तू जागे

जब समुंदर के सफ़र पर वो मिरे साथ चला

लहरें इठला के उठीं नींद से टापू जागे

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