हँसते हँसते भी सोगवार हैं हम
हँसते हँसते भी सोगवार हैं हम
ज़िंदगी किस के क़र्ज़-दार हैं हम
रूह पर जिस्म का लबादा है
इस लिए ही तो साया-दार हैं हम
उस ने देखा कुछ इस अदा से हमें
हम ये समझे कि शाहकार हैं हम
हम को इतना गिरा पड़ा न समझ
ऐ ज़माने किसी का प्यार हैं हम
आज तक ये समझ नहीं आया
जीत हैं किस की किस की हार हैं हम
हो कभी वक़्त तो ज़ियारत कर
ऐ मोहब्बत तिरा मज़ार हैं हम
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