सर-ए-बज़्म मुझ को उठा दिया मुझे मार मार लिटा दिया
मुझे मारता कोई और है वले हाँफ्ता कोई और है
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Rahat Indori
Gulzar
Habib Jalib
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मिरे रोब में तो वो आ गया मिरे सामने तो वो झुक गया
शायर-ए-आज़म
लाटरी
दिल के ज़ख़्मों पे वो मरहम जो लगाना चाहे
घर से बाहर
वो भरी बज़्म में कहती है मुझे अंकल-जी
मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और है
माशूक़ जो ठिगना है तो आशिक़ भी है नाटा
कूचा-ए-यार में मैं ने जो जबीं-साई की
बंगला और बीवी
मैं जिसे हीर समझता था वो राँझा निकला