मिरे रोब में तो वो आ गया मिरे सामने तो वो झुक गया
मुझे लात खा के हुई ख़बर मुझे पीटता कोई और है
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1057) Peoples Rate This
कूचा-ए-यार में मैं ने जो जबीं-साई की
वो भरी बज़्म में कहती है मुझे अंकल-जी
बंगला और बीवी
जब भी तुझे देखा किसी बोहरान में देखा
बिन-बुलाया मेहमान
सफ़र हो रेल-गाड़ी का तो छके छूट जाते हैं
शायर-ए-आज़म
सर-ए-बज़्म मुझ को उठा दिया मुझे मार मार लिटा दिया
लाटरी
माशूक़ जो ठिगना है तो आशिक़ भी है नाटा
मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और है