Ghazals of Zia-ul-Haq Qasmi
नाम | ज़ियाउल हक़ क़ासमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Zia-ul-Haq Qasmi |
माशूक़ जो ठिगना है तो आशिक़ भी है नाटा
मैं शिकार हूँ किसी और का मुझे मारता कोई और है
कूचा-ए-यार में मैं ने जो जबीं-साई की
जब भी तुझे देखा किसी बोहरान में देखा
दिल के ज़ख़्मों पे वो मरहम जो लगाना चाहे