Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4f3406afc38367c575c6efd5c8876127, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब उन्ही को न सुना पाए ग़म-ए-जाँ अपना - ज़िया जालंधरी कविता - Darsaal

जब उन्ही को न सुना पाए ग़म-ए-जाँ अपना

जब उन्ही को न सुना पाए ग़म-ए-जाँ अपना

चुप लगी ऐसी कि ख़ुद हो गए ज़िंदाँ अपना

ना-रसाई का बयाबाँ है कि इरफ़ाँ अपना

इस जगह अहरमन अपना है न यज़्दाँ अपना

दम की मोहलत में है तस्ख़ीर-ए-मह-ओ-मेहर की धुन

साँस इक सिलसिला-ए-ख़्वाब-ए-दरख़्शाँ अपना

तलब उस की है कि जो सरहद-ए-इम्काँ में नहीं

मेरी हर राह में हाइल है बयाबाँ अपना

कैसी दूरी उसी शोले की है ज़ौ मेरा जमाल

जिस से ताबिंदा रहा दीदा-ए-गिर्यां अपना

अर्मुग़ाँ हैं तिरी चाहत के शगुफ़्ता लम्हे

बे-ख़ुदी अपनी शब अपनी मह-ए-ताबाँ अपना

इस तरह अक्स पड़ा तेरे शफ़क़ होंटों का

सुब्ह-ए-गुलज़ार हुआ सीना-ए-वीराँ अपना

ऐसी घड़ियाँ कई मुझ ऐसों पे आई होंगी

वक़्त ने जिन से सजा रक्खा है ऐवाँ अपना

(1223) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Unhi Ko Na Suna Pae Gham-e-jaan Apna In Hindi By Famous Poet Zia Jalandhari. Jab Unhi Ko Na Suna Pae Gham-e-jaan Apna is written by Zia Jalandhari. Complete Poem Jab Unhi Ko Na Suna Pae Gham-e-jaan Apna in Hindi by Zia Jalandhari. Download free Jab Unhi Ko Na Suna Pae Gham-e-jaan Apna Poem for Youth in PDF. Jab Unhi Ko Na Suna Pae Gham-e-jaan Apna is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Unhi Ko Na Suna Pae Gham-e-jaan Apna with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.