अजब कशाकश-ए-बीम-ओ-रजा है तन्हाई
अजब कशाकश-ए-बीम-ओ-रजा है तन्हाई
तिरे बग़ैर तिरा सामना है तन्हाई
नए दिनों की सलीबें गए दिनों के मज़ार
अज़ाब ख़ुद से मुलाक़ात का है तन्हाई
फ़ज़ा में हैं किसी तूफ़ान-ए-तुंद के आसार
सफ़र तवील है और रास्ता है तन्हाई
बहुत उदास है दिल दोस्तों की महफ़िल में
हर एक आँख में चेहरा-नुमा है तन्हाई
शगुफ़्ता फूलों का गुल-दस्ता सोहबत-ए-याराँ
बिखरते पत्तों का इक ढेर सा है तन्हाई
मैं आफ़्ताब को कैसे दिखाऊँ तारीकी
तुझे मैं कैसे बताऊँ कि क्या है तन्हाई
अजब सुकून था शब आँसुओं की बारिश में
वो ग़म-गुसार वो दर्द-आश्ना है तन्हाई
वो ख़्वाब क्या था कि जिस की हयात है ताबीर
वो जुर्म क्या था कि जिस की सज़ा है तन्हाई
नहीं मिले थे तो तन्हाई किस क़दर थी 'ज़िया'
वो मिल के बिछड़े तो उस से सिवा है तन्हाई
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