Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8e85be16d28391aec20432acc661f5ff, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अब ये आँखें किसी तस्कीन से ताबिंदा नहीं - ज़िया जालंधरी कविता - Darsaal

अब ये आँखें किसी तस्कीन से ताबिंदा नहीं

अब ये आँखें किसी तस्कीन से ताबिंदा नहीं

मैं ने रफ़्ता से ये जाना है कि आइंदा नहीं

तेरे दिल में कोई ग़म मेरा नुमाइंदा नहीं

आगही तेरी मिज़ा पर अभी रख़्शंदा नहीं

दिल-ए-वीराँ दम-ए-ईसा है गए वक़्त की याद

कौन सा लम्हा-ए-रफ़्ता है कि फिर ज़िंदा नहीं

तू भी चाहे तो न आएगी वो बीती हुई रात

है वही चाँद मगर वैसा दरख़शिंदा नहीं

अब्र-ए-आवारा से मुझ को है वफ़ा की उम्मीद

बर्क़-ए-बेताब से शिकवा है कि पाइंदा नहीं

कभी ग़ुंचे को महकने से कोई रोक सका

शौक़ अगर है तो फिर इज़हार से शर्मिंदा नहीं

(1714) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ab Ye Aankhen Kisi Taskin Se Tabinda Nahin In Hindi By Famous Poet Zia Jalandhari. Ab Ye Aankhen Kisi Taskin Se Tabinda Nahin is written by Zia Jalandhari. Complete Poem Ab Ye Aankhen Kisi Taskin Se Tabinda Nahin in Hindi by Zia Jalandhari. Download free Ab Ye Aankhen Kisi Taskin Se Tabinda Nahin Poem for Youth in PDF. Ab Ye Aankhen Kisi Taskin Se Tabinda Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Ab Ye Aankhen Kisi Taskin Se Tabinda Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.