उजालों को ढूँडो सहर को पुकारो
अँधेरों में रोने से क्या फ़ाएदा है
Gulzar
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गो आज अँधेरा है कल होगा चराग़ाँ भी
नज़र नज़र से मिलाना कोई मज़ाक़ नहीं
जुनूँ पे अक़्ल का साया है देखिए क्या हो
मिरे जुनूँ में मिरी वफ़ा में ख़ुलूस की जब कमी मिलेगी
लब पर दिल की बात न आई
तू ने नज़रों को बचा कर इस तरह देखा मुझे
हुस्न है मोहब्बत है मौसम-ए-बहाराँ है
रग-ए-एहसास में नश्तर टूटा
आँख से आँसू ढलका होता
दिल अपना सैद-ए-तमन्ना है देखिए क्या हो
लो आज समुंदर के किनारे पे खड़ा हूँ