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आँगन - ज़ेहरा निगाह कविता - Darsaal

आँगन

दर दीवार दरीचे आँगन

दहलीज़ें दालान और कमरे

सारे रूप ये कितने नाज़ुक

सोचो तो मिट्टी के खिलौने

मेरे लिए ये कुंज-ए-इबादत

मेरे लिए ये कोह-ए-सदाक़त

मेरे लिए ये मंज़िल-ए-वादा

ख़ुल्द-ए-तहफ़्फ़ुज़ क़स्र-ए-रिफ़ाक़त

जिस के राज-सिंघासन बैठी

मैं रानी हूँ मैं बेचारी

बाहर चाहे तूफ़ाँ आएँ

लेकिन याँ सब चैन से सोएँ

जब जागें तब सूरज निकले

सो जाएँ तब चाँदनी महके

मेरे घर वाले जपते हैं

मेरे नाम की जय-मालाएँ

लक्ष्मी छाया जानें मुझ को

सरस्वती सा मानें मुझ को

चाँद देख के मुझ को देखें

हरियाली पर मुझे चलाएँ

अपना तख़्त और ताज सँभाले

शाल दोशाले काँधों डाले

बाल बाल मोती पिरवाऊँ!

पोर पोर में हीरे पहनूँ

काम-काज का पल्लू डाले!

दिन भर घर से उलझूँ सुलझूँ

रात को लेकिन आँखें मूँदे

पिछली रुत का सावन देखूँ

हीरे ल'अल बिखरते जाएँ

महल दो महले हटते जाएँ

छोटा आँगन नीचे कमरे!

दूर दूर से हाथ हिलाएँ

बीते लम्हे जुगनू ऐसे

उड़ते और चमकते आएँ

मुट्ठी बाँध के उन को देखूँ

चम्पा फूल महकते जाएँ

जगमग जगमग सोने जैसा

घर सब की नज़रों में आया

भीगा आँचल फैला काजल

किस ने देखा किस ने छुपाया

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Aangan In Hindi By Famous Poet Zehra Nigaah. Aangan is written by Zehra Nigaah. Complete Poem Aangan in Hindi by Zehra Nigaah. Download free Aangan Poem for Youth in PDF. Aangan is a Poem on Inspiration for young students. Share Aangan with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.