नीम तारीक मोहब्बत
नीम तारीक मोहब्बत की दिल-आवेज़ी में
जगमगाती है तिरी याद की मौहूम किरन
चमक उठता है तिरे दर्द में डूबा हुआ चाँद
तुझ को छूने की तमन्ना में गुज़रते बादल
मेरे हाथों की लकीरों में ठहर जाते हैं
किसी पुर-शोर समुंदर का तलातुम ले कर
चाँदनी आ के दिल ओ जाँ पे बिखर जाती है
नहीं मालूम कि वो फूल कहाँ खिलते हैं
जिन की ख़ुश्बू मिरी आँखों में उतर जाती है
नीम तारीक मोहब्बत की दिल-आवेज़ी में
लोग कहते हैं कि इक उम्र गुज़र जाती है
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