मिरी दोस्त अब तुम
जहाँ हो वहाँ पर
न जाने हवाओं की रफ़्तार क्या है
सितारों से आबाद
रस्तों में हाइल
ये बादल हैं कैसे
ये दीवार क्या है
मोहब्बत है आज़ाद
लेकिन दिलों में
परिंदों की तरह
गिरफ़्तार किया है
जहाँ हम हैं शायद
वहाँ रोज़-ओ-शब में
बस इक ख़्वाब है
और उफ़ुक़ पार किया है