नज़्म
तेंदुलकर इक रोज़ सितारे
और आकाश पे फैले बादल
क्रिकेट के मैदान में आ के
आँख-मिचोली खेलेंगे
तुम उन बे-चारों के
खेल में
कभी खड़ी दीवार न करना
पल दो पल
या जीवन भर को
उन का साथी
बन जाने से
प्यारे तुम इंकार न करना
अगर शोऐब-अख़्तर की
गेंद पे
जल्दी आउट हो जाओ तो
नफ़रत का इज़हार न करना
जीत या हार के
बोझल-पन में
आँसू ले कर अपने मन में
जब भी तुम
तन्हा बैठे हो
पास पड़ोस की सारी चिड़ियाँ
गीत सुनाने आएँगी
अपने परों पर तुम को
अम्बर तक ले जाने आएँगी
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