हल्की और भारी चीज़ें
एक गोली
बहुत हल्की होती है
गली के कोने पर खड़े लड़के की
बंदूक़ से निकलने के बाद
दूर फ़लेटों में
खिड़की से निकले बाज़ू तक पहुँचते वक़्त
वो अपना सारा वज़्न
अपनी सारी ताक़त खो देती है
और बाज़ू में सुराख़ करने के बाद
आगे नहीं बढ़ पाती
वहीं रह जाती है गोली के बाज़ू में रह जाने से
आदमी को बहुत तकलीफ़ होती है
अगर इस गोली के साथ
दो तीन गोलियाँ और भी होतीं
तो शायद आदमी को और ज़ियादा तकलीफ़ हो रही होती
वो ये बात नहीं सोचता
और कराहने लगता है
ज़ियादा गोलियों से उस की मौत भी वाक़े हो सकती थी
वो ये बात भी नहीं सोचता
और रोने लगता है
गोलियों से भी कम वज़्न रखने वाले आँसू
बिस्तर की चादर और परों से भरे तकिए में
जज़्ब हो जाते हैं
बाज़ू में अटकी हुई गोली के ख़याल से
वो ये भी नहीं सोचता
कि अगर उस के बाद हल्के आँसू तकिए या चादर पर गिरने के बजाए
भारी बंदूक़ पर गिरते रहते
तो एक न एक दिन
उसे ज़ंग लग जाता
या फिर उस की तरफ़ गोली भेजने वाले
लड़के का सख़्त दिल
उस के आँसू देख कर
मोम हो जाता
भारी चीज़ों की जगह
हल्की चीज़ें ले लेतीं
हल्की चीज़ों की जगह
कुछ और न आ पाता
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