एक मोर
एक मोर आएगा
आसमान से शायद
हुस्न और मोहब्बत की
दास्तान से शायद
ख़्वाब और उदासी के
इक जहान से शायद
फिर वो मोर नाचेगा
देर तक अकेले में
याद के जज़ीरे पर
मेरे साथ मेले में
ख़ुद को भूल जाएगा
शहर के झमेले में
सुब्ह लोग पूछेंगे
रात शोर कैसा था
घर के साथ ज़ीने पर
एक मोर कैसा था
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