Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2c7c24b3673828621d4a4b42892b9e27, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
एक लड़की ने आईना देखा - ज़ीशान साहिल कविता - Darsaal

एक लड़की ने आईना देखा

एक लड़की ने आईना देखा

आईने में खिले हुए थे फूल

आईने में चराग़ जलते थे

आईना एक रहगुज़र था जहाँ

ख़्वाब ख़्वाबों के साथ चलते थे

आईने में बना हुआ था बाग़

बाग़ में शाम होने वाली थी

(शाम के फैलते अंधेरे में

लड़कियाँ बाग़ में नहीं जातीं)

आईने में न था कोई दरिया

आईने में न था कोई जंगल

आईने में न था कोई सहरा

आईने में न था कोई बादल

आईने में बस इक समुंदर था

(लड़कियाँ जिस से डरती रहती हैं)

और समुंदर की नील-गूँ तह में

एक लड़की ने आईना देखा

आईने में खिले हुए थे फूल

आईने में चराग़ जलते थे

आईना एक रहगुज़र था जहाँ

ख़्वाब ख़्वाबों के साथ चलते थे

(1123) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek LaDki Ne Aaina Dekha In Hindi By Famous Poet Zeeshan Sahil. Ek LaDki Ne Aaina Dekha is written by Zeeshan Sahil. Complete Poem Ek LaDki Ne Aaina Dekha in Hindi by Zeeshan Sahil. Download free Ek LaDki Ne Aaina Dekha Poem for Youth in PDF. Ek LaDki Ne Aaina Dekha is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek LaDki Ne Aaina Dekha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.