Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4b1d4dde44846ef0964441618b94a60d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चीज़ें अपनी जगह तब्दील करना चाहती हैं - ज़ीशान साहिल कविता - Darsaal

चीज़ें अपनी जगह तब्दील करना चाहती हैं

उस लफ़्ज़ का

क्या मतलब है जो

तुम मोहब्बत में शुक्र-गुज़ारी के लिए

एक ख़ासे मौक़े पर

इस्तिमाल करती हो

किसी और जगह

किसी और शख़्स के सामने

जज़्बात के शिद्दत से इज़हार के लिए

क्या इसी तरह इस लफ़्ज़ को

दोहराया जा सकता है?

क्या इसे कहते हुए

लफ़्ज़ों की साख़्त

और दुरुस्त अदाएगी का

हमेशा ख़याल रखना होगा?

क्या मेरी थोड़ी सी

बे-एहतियाती उस का मफ़्हूम

बहुत ज़ियादा तब्दील तो नहीं कर देगी

क्या इस लफ़्ज़ के लिए

किसी दूसरी ज़बान में

कोई मुतबादिल लफ़्ज़

ज़ियादा मदद-गार साबित नहीं होगा?

और सब बातों के बावजूद

मैं जो कुछ चाहता हूँ

शायद वाज़ेह न हो सके

इस लफ़्ज़ के लिए

जो तुम कहती हो एक ख़ास मौक़े पर

मोहब्बत में शुक्र-गुज़ारी के तौर पर

जब हमेशा की तरह

चीज़ें अपनी जगह तब्दील करना चाहती हैं

(1077) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chizen Apni Jagah Tabdil Karna Chahti Hain In Hindi By Famous Poet Zeeshan Sahil. Chizen Apni Jagah Tabdil Karna Chahti Hain is written by Zeeshan Sahil. Complete Poem Chizen Apni Jagah Tabdil Karna Chahti Hain in Hindi by Zeeshan Sahil. Download free Chizen Apni Jagah Tabdil Karna Chahti Hain Poem for Youth in PDF. Chizen Apni Jagah Tabdil Karna Chahti Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Chizen Apni Jagah Tabdil Karna Chahti Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.