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चिड़ियों का शोर - ज़ीशान साहिल कविता - Darsaal

चिड़ियों का शोर

सफ़ेद काग़ज़ पर

पेन्सिल के चलने की आवाज़

बहुत कम है

सड़क पर टैंक गुज़रने की आवाज़

इस से कुछ ज़ियादा है

और शायद मेरी आवाज़

इन दोनों आवाज़ों से ज़ियादा है

मगर सब से ज़ियादा है

चिड़ियों का शोर

बढ़ता ही रहता

जब एक शिकारी आता है

हवा में बंदूक़ चलाता है

एक चिड़िया ख़ौफ़ से मर जाती है

बाक़ी शोर मचाती हैं

चिड़ियों का शोर ज़ियादा हो जाता है

शिकारी को मार देता है

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