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बादशाह - ज़ीशान साहिल कविता - Darsaal

बादशाह

आप बादशाह हैं

हमें भूल क्यूँ नहीं जाते

हम बहुत छोटे हैं

हमारी ज़िंदगी

हम से भी ज़ियादा छोटी है

आप अगर चाहें

तो उसे अपने जूते के

अगले हिस्से के नीचे मुकम्मल कर सकते हैं

मगर आप ने तो हमें

अपने जूते में निकल आने वाली कील

समझ लिया है

आप का ख़याल

कैसे ग़लत हो सकता है

आप बादशाह हैं

अगर आप को ग़ुस्सा आ जाए

तो आप हँस सकते हैं

हमें और हमारे दोस्तों को

हाथी के पैरों में बैठे देख कर

आप आसमान ही

हमारे घरों पर गिर सकते हैं

जहाँ हम बेदार हुए थे

अपने मुँह में

लकड़ी का चमचा ले के

किसी बादशाह से ज़ियादा

बादशाह

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