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27 - ज़ीशान साहिल कविता - Darsaal

27

किसी दिन तुम्हें याद करते हुए मैं

चला जाऊँगा इस जहाँ के किनारे

मोहब्बत भरे आसमाँ के किनारे

परिंदे मिरे साथ जाएँगे शायद

बहुत देर तक गीत गाएँगे शायद

मगर तुम कोई गीत सुनती नहीं हो

किसी के लिए फूल चुनती नहीं हो

अँधेरे में कुछ याद करती नहीं हो

मिरे रास्ते से गुज़रती नहीं हो

तुम्हें एक दिन में सितारा बना के

समुंदर का शायद किनारा बना के

शब-ओ-रोज़ पानी पे चलता रहूँगा

सितारे की आँखों में जलता रहूँगा

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27 In Hindi By Famous Poet Zeeshan Sahil. 27 is written by Zeeshan Sahil. Complete Poem 27 in Hindi by Zeeshan Sahil. Download free 27 Poem for Youth in PDF. 27 is a Poem on Inspiration for young students. Share 27 with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.