Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5468a13279db4724cd11316d31093b30, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ऐसा लगता है जैसे पूरी है - ज़ीशान साहिल कविता - Darsaal

ऐसा लगता है जैसे पूरी है

ऐसा लगता है जैसे पूरी है

ये कहानी मगर अधूरी है

हिज्र तो ख़ैर उस का लाज़िम था

वस्ल भी अब बहुत ज़रूरी है

मेरी आँखों के जुर्म में शामिल

उन निगाहों की बे-क़ुसूरी है

मेरे अल्फ़ाज़ हो रहे हैं ख़र्च

क़ौम की मुफ़्त में मश्हूरी है

यूँ मिरा ताज-ओ-तख़्त छीन लिया

जैसे वो शेर-शाह-सूरी है

इन दिनों उस के सामने दिल की

जी-हुज़ूरी ही जी-हुज़ूरी है

किस क़दर शोख़ कर दिया मुझ को

इश्क़ मिट्ठू-मियाँ की चूरी है

(1080) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aisa Lagta Hai Jaise Puri Hai In Hindi By Famous Poet Zeeshan Sahil. Aisa Lagta Hai Jaise Puri Hai is written by Zeeshan Sahil. Complete Poem Aisa Lagta Hai Jaise Puri Hai in Hindi by Zeeshan Sahil. Download free Aisa Lagta Hai Jaise Puri Hai Poem for Youth in PDF. Aisa Lagta Hai Jaise Puri Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Aisa Lagta Hai Jaise Puri Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.