Ghazals of Zeeshan Sahil
नाम | ज़ीशान साहिल |
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अंग्रेज़ी नाम | Zeeshan Sahil |
जन्म की तारीख | 1961 |
मौत की तिथि | 2008 |
जन्म स्थान | Karachi |
यूँ बोली थी चिड़िया ख़ाली कमरे में
याद करने के ज़माने से बहुत आगे हैं
फूलों की अंजुमन में बहुत देर तक रहा
मैं उस की अंजुमन में अकेला नहीं गया
कोई क़ुसूर नहीं मेरी ख़ुश-गुमानी का
किसी की देन है लेकिन मिरी ज़रूरत है
किस क़दर महदूद कर देता है ग़म इंसान को
जो मेरे बस में है उस से ज़ियादा क्या करना
इश्क़ की दीवानगी मिट जाएगी
इस दश्त-ए-बे-पनाह की हद पर भी ख़ुश नहीं
ग़ुबार दिल से निकाला नज़र को साफ़ किया
गर्द-ए-सफ़र में राह ने देखा नहीं मुझे
दिल मुज़्तरिब है और परेशान जिस्म है
ऐसा लगता है जैसे पूरी है