Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_501b21f8e8942052a47cc23de946e016, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रेतीली कितनी हवा है इर्द-गिर्द - ज़ीशान साजिद कविता - Darsaal

रेतीली कितनी हवा है इर्द-गिर्द

रेतीली कितनी हवा है इर्द-गिर्द

हर नज़र इक आइना है इर्द-गिर्द

हसरतों की सरज़मीं खूँ-रेज़ है

ख़्वाहिशों की कर्बला है इर्द-गिर्द

इक हक़ीक़त हैं मिरी तन्हाइयाँ

एक एहसास-ए-ख़ुदा है इर्द-गिर्द

ज़िंदगी कच्चा घड़ा दुनिया चनाब

तेज़-रौ पानी चला है इर्द-गिर्द

क्या ख़बर कब कौन जीना छोड़ दे

ताक में किस की क़ज़ा है इर्द-गिर्द

जितनी बूढ़ी हो गईं सोचें मिरी

उतना ज़ियादा बचपना है इर्द-गिर्द

धूल है बस धूल 'ज़ीशाँ' चार-सम्त

एक बे-रस्ता दिशा है इर्द-गर्द

(1214) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Retili Kitni Hawa Hai Ird-gird In Hindi By Famous Poet Zeeshaan Sajid. Retili Kitni Hawa Hai Ird-gird is written by Zeeshaan Sajid. Complete Poem Retili Kitni Hawa Hai Ird-gird in Hindi by Zeeshaan Sajid. Download free Retili Kitni Hawa Hai Ird-gird Poem for Youth in PDF. Retili Kitni Hawa Hai Ird-gird is a Poem on Inspiration for young students. Share Retili Kitni Hawa Hai Ird-gird with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.