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दुनिया वो रास्ते की रुकावट है दोस्तो - ज़ीशान साजिद कविता - Darsaal

दुनिया वो रास्ते की रुकावट है दोस्तो

दुनिया वो रास्ते की रुकावट है दोस्तो

जिस से हमें शदीद लगावट है दोस्तो

छत पर खड़े हैं फिर भी नज़र आसमाँ पे है

पानी में तिश्नगी की मिलावट है दोस्तो

इक तो ये रास्ते हैं कि जैसे हों दाएरे

उस पर मसाफ़तों की थकावट है दोस्तो

हम सब को क्या पड़ी कि तअ'ल्लुक़ बनाएँ हम

चेहरों पे पुर-फ़रेब बनावट है दोस्तो

लम्हों की उँगलियों पे सभी नाचने लगे

ये जश्न-ए-ज़िंदगी की बनावट है दोस्तो

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