Ghazals of Zeba
नाम | ज़ेबा |
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अंग्रेज़ी नाम | Zeba |
पेच दे ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं न कहीं
न होगा हश्र महशर में बपा क्या
क्यूँ हो न गिर के कासा-ए-तदबीर पाश पाश
क्या मिला क़ैस को गर्द-ए-रह-ए-सहरा हो कर
किस शेर में सना-ए-रुख़-ए-मह-जबीं नहीं
जफ़ा-पसंदों को सुनते हैं ना-पसंद हुआ
फ़िराक़ में ख़ून-ए-दिल हैं पीते शराब हम ले के क्या करेंगे
फ़ैसला क्या हो जान-ए-बिस्मिल का
ऐसी तश्बीह फ़क़त हुस्न की बदनामी है