Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8d13bb718c99060650dea58221316445, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न अब्र से तिरा साया न तू निकलता है - ज़ेब ग़ौरी कविता - Darsaal

न अब्र से तिरा साया न तू निकलता है

न अब्र से तिरा साया न तू निकलता है

गुबार-ए-आईना-ए-आबजू निकलता है

लहू का रंग झलकता है आँसुओं में कहीं

न ख़ाक-ए-दिल से शरार-ए-नुमू निकलता है

इस इंतिशार में कोई पता नहीं चलता

जो गर्द बैठे तो इक दश्त-ए-हू निकलता है

चमक उठी हैं खंडर की शिकस्ता दीवारें

किधर से क़ाफ़िला-ए-रंग-ओ-बू निकलता है

न जाने क्या है कि जब भी मैं उस को देखता हूँ

तो कोई और मिरे रू-ब-रू निकलता है

लिए-दिए हुए रखता है ख़ुद को वो लेकिन

जहाँ भी ग़ौर से देखो रफ़ू निकलता है

जुड़ा है ज़ात से उस की हर एक शेर उस का

जो पत्ता शाख़ से तोड़ो लहू निकलता है

न धुँद छटती है आँखों के सामने से कभी

न दिल से हौसला-ए-जुस्तुजू निकलता है

न चाँद उभरता है दीवार-ए-शब से 'ज़ेब' कहीं

न सर्व-ए-ग़म से क़द-ए-आरज़ू निकलता है

(1141) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Na Abr Se Tera Saya Na Tu Nikalta Hai In Hindi By Famous Poet Zeb Ghauri. Na Abr Se Tera Saya Na Tu Nikalta Hai is written by Zeb Ghauri. Complete Poem Na Abr Se Tera Saya Na Tu Nikalta Hai in Hindi by Zeb Ghauri. Download free Na Abr Se Tera Saya Na Tu Nikalta Hai Poem for Youth in PDF. Na Abr Se Tera Saya Na Tu Nikalta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Abr Se Tera Saya Na Tu Nikalta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.