Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_358c3dd1c863a68d296d9aac204fe21d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मेरा अदम वजूद भी क्या ज़र-निगार था - ज़ेब ग़ौरी कविता - Darsaal

मेरा अदम वजूद भी क्या ज़र-निगार था

मेरा अदम वजूद भी क्या ज़र-निगार था

चारों तरफ़ ख़ला में चमकता ग़ुबार था

साहिल बनी निगाह की हद फ़ासले मिटे

गिर्दाब-ए-मौज-ए-दूद मकाँ का हिसार था

पी कर लहू सियाह हुई किश्त-ए-आरज़ू

क्या देखते कि ख़ाक का दा'वा बहार था

मौजों में डूबती हुई सुर्ख़ी थी शाम की

दिल दश्त-ए-पुर-सुकूत था दरिया क़रार था

इक बोझ उठाए शाम को लौटा हूँ मैं निढाल

मैं अपने दाम-ए-शौक़ में क्या ख़ुद शिकार था

दिल का सुराग़ क्या कि जहाँ तक निगाह की

नैरंग-ए-नक़्श-ए-रफ़्ता-ए-पा-ए-फ़रार था

मैं इक शजर सुकूत था और मेरी छाँव में

गिरता हुआ सदाओं का इक आबशार था

ख़ुर्शीद-ओ-माह मेरे लिए इक फ़साना थे

तारीक जंगलों का मैं लैल-ओ-नहार था

शो'ले दराज़ दस्त थे और मेरे सामने

ख़ुर्शीद शाम-ए-दश्त का तारीक ग़ार था

मैं ख़ाक-ए-दिल बिखेर रहा था हवा में 'ज़ेब'

और इस से बे-ख़बर था कि उस में शरार था

(1151) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mera Adam Wajud Bhi Kya Zar-nigar Tha In Hindi By Famous Poet Zeb Ghauri. Mera Adam Wajud Bhi Kya Zar-nigar Tha is written by Zeb Ghauri. Complete Poem Mera Adam Wajud Bhi Kya Zar-nigar Tha in Hindi by Zeb Ghauri. Download free Mera Adam Wajud Bhi Kya Zar-nigar Tha Poem for Youth in PDF. Mera Adam Wajud Bhi Kya Zar-nigar Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Mera Adam Wajud Bhi Kya Zar-nigar Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.