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बे-कराँ दश्त-ए-बे-सदा मेरे - ज़ेब ग़ौरी कविता - Darsaal

बे-कराँ दश्त-ए-बे-सदा मेरे

बे-कराँ दश्त-ए-बे-सदा मेरे

आ खुले बाज़ुओं में आ मेरे

साफ़-शफ़्फ़ाफ़ सब्ज़ फ़र्श तिरा

गर्द-आलूदा दस्त ओ पा मेरे

सरकश ओ सर-बुलंद बाम तिरा

सर-निगूँ शहपर-ए-हवा मेरे

बे-सुतूँ ख़ेमा-ए-सबात तिरा

महव-ए-सहरा नुक़ूश-ए-पा मेरे

शब-ए-हिज्राँ कि ला-ज़वाल तिरी

ग़म कि आमादा-ए-फ़ना मेरे

दश्त ओ दरिया सभी ख़मोश हुए

ज़मज़मा-संज ओ हम-नवा मेरे

मैं पयम्बर तिरा नहीं लेकिन

मुझ से भी बात कर ख़ुदा मेरे

एक इक तारा जानता है मुझे

हैं सभी 'ज़ेब' आश्ना मेरे

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Be-karan Dasht-e-be-sada Mere In Hindi By Famous Poet Zeb Ghauri. Be-karan Dasht-e-be-sada Mere is written by Zeb Ghauri. Complete Poem Be-karan Dasht-e-be-sada Mere in Hindi by Zeb Ghauri. Download free Be-karan Dasht-e-be-sada Mere Poem for Youth in PDF. Be-karan Dasht-e-be-sada Mere is a Poem on Inspiration for young students. Share Be-karan Dasht-e-be-sada Mere with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.