Coupletss of Zeb Ghauri (page 2)
नाम | ज़ेब ग़ौरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Zeb Ghauri |
जन्म की तारीख | 1928 |
मौत की तिथि | 1985 |
जन्म स्थान | Kanpur |
लहू में तैरता फिरता है मेरा ख़स्ता बदन
कुछ दूर तक तो चमकी थी मेरे लहू की धार
कोई ख़बर ही न थी मर्ग-ए-जुस्तुजू की मुझे
किस ने सहरा में मिरे वास्ते रक्खी है ये छाँव
खुली छतों से चाँदनी रातें कतरा जाएँगी
कम रौशन इक ख़्वाब आईना इक पीला मुरझाया फूल
कहीं पता न लगा फिर वजूद का मेरे
जितना देखो उसे थकती नहीं आँखें वर्ना
जगमगाता हुआ ख़ंजर मिरे सीने में उतार
जाग के मेरे साथ समुंदर रातें करता है
घसीटते हुए ख़ुद को फिरोगे 'ज़ेब' कहाँ
एक किरन बस रौशनियों में शरीक नहीं होती
एक झोंका हवा का आया 'ज़ेब'
दिल को सँभाले हँसता बोलता रहता हूँ लेकिन
दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहता
ढूँढती फिरती हैं जाने मिरी नज़रें किस को
धो के तू मेरा लहू अपने हुनर को न छुपा
देख कभी आ कर ये ला-महदूद फ़ज़ा
छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवा
चमक रहा है ख़ेमा-ए-रौशन दूर सितारे सा
बे-हिसी पर मिरी वो ख़ुश था कि पत्थर ही तो है
बड़े अज़ाब में हूँ मुझ को जान भी है अज़ीज़
और भी गहरी हो जाती है उस की सरगोशी
अंदर अंदर खोखले हो जाते हैं घर
अधूरी छोड़ के तस्वीर मर गया वो 'ज़ेब'
अब तक तो किसी ग़ैर का एहसाँ नहीं मुझ पर
अब मुझ से ये दुनिया मिरा सर माँग रही है
आगे चल के तो कड़े कोस हैं तन्हाई के