ज़िंदगी ख़ार-ज़ार में गुज़री

ज़िंदगी ख़ार-ज़ार में गुज़री

जुस्तजू-ए-बहार में गुज़री

कुछ तो पैमान-ए-यार में गुज़री

और कुछ ए'तिबार में गुज़री

मंज़िल-ए-ज़ीस्त हम से सर न हुई

याद-ए-गेसू-ए-यार में गुज़री

फूल गिर्यां थे हर कली लर्ज़ां

जाने कैसी बहार में गुज़री

ज़िंदगानी तवील थी लेकिन

मौत के इंतिज़ार में गुज़री

आप से मिल के ज़िंदगी अपनी

जुस्तुजू-ए-क़रार में गुज़री

जो भी गुज़री बुरी भली 'सानी'

आप के इख़्तियार में गुज़री

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