ऐ संग-ए-राह आबला-पाई न दे मुझे

ऐ संग-ए-राह आबला-पाई न दे मुझे

ऐसा न हो कि राह सुझाई न दे मुझे

सत्ह-ए-शुऊर पर है मिरे शोर इस क़दर

अब नग़मा-ए-ज़मीर सुनाई न दे मुझे

इंसानियत का जाम-ए-जहाँ पाश पाश हो

अल्लाह मेरे ऐसी ख़ुदाई न दे मुझे

रंगीनियाँ शबाब की इतनी हैं दिल-फ़रेब

बालों पे आती धूप दिखाई न दे मुझे

तर्क-ए-तअल्लुक़ात पे इसरार था तुझे

अब तो मिरी वफ़ा की दुहाई न दे मुझे

बे-बाल-ओ-पर हूँ रास न आएगी ये फ़ज़ा

'सानी' क़फ़स से अपने रिहाई न दे मुझे

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Ai Sang-e-rah Aabla-pai Na De Mujhe In Hindi By Famous Poet Zareena Sani. Ai Sang-e-rah Aabla-pai Na De Mujhe is written by Zareena Sani. Complete Poem Ai Sang-e-rah Aabla-pai Na De Mujhe in Hindi by Zareena Sani. Download free Ai Sang-e-rah Aabla-pai Na De Mujhe Poem for Youth in PDF. Ai Sang-e-rah Aabla-pai Na De Mujhe is a Poem on Inspiration for young students. Share Ai Sang-e-rah Aabla-pai Na De Mujhe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.