Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7a043518d5d7605d78613fecf9137f4e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उस ने निगाह-ए-लुत्फ़-ओ-करम बार बार की - ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर कविता - Darsaal

उस ने निगाह-ए-लुत्फ़-ओ-करम बार बार की

उस ने निगाह-ए-लुत्फ़-ओ-करम बार बार की

अब ख़ैरियत नहीं है दिल-ए-बे-क़रार की

डर ये है खुल न जाए कहीं राज़-ए-इश्क़ भी

निभने लगी है उन से मिरे राज़दार की

सब के नसीब में है कहाँ मौज-ए-दर्द-ओ-ग़म

मख़्सूस हैं इनायतें परवरदिगार की

यादों की अंजुमन में उन्हें भी बुला लिया

इक शाम यूँ भी हम ने बहुत यादगार की

जब हम ही फ़स्ल-ए-गुल में चमन से निकल गए

फिर क्यूँ सुना रहे हो कहानी बहार की

'ज़ाकिर' हम अपना दिल भी वहीं छोड़ आए हैं

किस दर्जा पुर-कशिश थी फ़ज़ा उस दयार की

(1527) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Usne Nigah-e-lutf-e-karam Bar Bar Ki In Hindi By Famous Poet Zakir Khan Zakir. Usne Nigah-e-lutf-e-karam Bar Bar Ki is written by Zakir Khan Zakir. Complete Poem Usne Nigah-e-lutf-e-karam Bar Bar Ki in Hindi by Zakir Khan Zakir. Download free Usne Nigah-e-lutf-e-karam Bar Bar Ki Poem for Youth in PDF. Usne Nigah-e-lutf-e-karam Bar Bar Ki is a Poem on Inspiration for young students. Share Usne Nigah-e-lutf-e-karam Bar Bar Ki with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.