इताब-ओ-क़हर का हर इक निशान बोलेगा

इताब-ओ-क़हर का हर इक निशान बोलेगा

मैं चुप रहा तो शिकस्ता मकान बोलेगा

अभी हुजूम है उस को जुलूस बनने दे

तिरे ख़िलाफ़ हर इक बे-ज़बान बोलेगा

हमारी चीख़ कभी बे-असर नहीं होगी

ज़मीं ख़मोश सही आसमान बोलेगा

जो तुम सुबूत न दोगे अज़ाब के दिन का

गवाह बन के ये सारा जहान बोलेगा

कभी तो आएगा वो वक़्त भी 'ज़की' तारिक़

यक़ीन बन के हमारा गुमान बोलेगा

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Itab-o-qahr Ka Har Ek Nishan Bolega In Hindi By Famous Poet Zaki Tariq. Itab-o-qahr Ka Har Ek Nishan Bolega is written by Zaki Tariq. Complete Poem Itab-o-qahr Ka Har Ek Nishan Bolega in Hindi by Zaki Tariq. Download free Itab-o-qahr Ka Har Ek Nishan Bolega Poem for Youth in PDF. Itab-o-qahr Ka Har Ek Nishan Bolega is a Poem on Inspiration for young students. Share Itab-o-qahr Ka Har Ek Nishan Bolega with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.