ज़की तारिक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ज़की तारिक़
नाम | ज़की तारिक़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Zaki Tariq |
जन्म की तारीख | 1952 |
जन्म स्थान | Ghaziabad |
'ज़की' हमारा मुक़द्दर हैं धूप के ख़ेमे
सिमटे हुए जज़्बों को बिखरने नहीं देता
रोज़ सुनता हूँ मैं हँसने की सदा
मेरे अंदर निहाँ है अक्स मिरा
इताब-ओ-क़हर का हर इक निशान बोलेगा
हम भी कहने लगे हैं रात को रात
गुमान होता है मुझ को तुम्हारे आने का
दरीदा-जैब गरेबाँ भी चाक चाहता है
अजनबी ख़ुशबू की आहट से महक उट्ठा बदन
तिरे बग़ैर कटे दिन न शब गुज़रती है
सिमटे हुए जज़्बों को बिखरने नहीं देता
नूर ये किस का बसा है मुझ में
मेरे ख़्वाबों का कभी जब आसमाँ रौशन हुआ
कौन कहता है गुम हुआ परतव
इताब-ओ-क़हर का हर इक निशान बोलेगा
दरीदा-जैब गरेबाँ भी चाक चाहता है
भरे तो कैसे परिंदा भरे उड़ान कोई
बे-मकाँ मेरे ख़्वाब होने लगे