याद आए हैं उफ़ गुनह क्या क्या
हाथ उठाए हैं जब दुआ के लिए
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Habib Jalib
Parveen Shakir
Gulzar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(849) Peoples Rate This
साफ़ कहिए कि प्यार करते हैं
कारवाँ तो निकल गया कोसों
दर्द-ए-दिल ने ली न थी करवट अभी
हुस्न जिस हाल में नज़र आया
अहल-ए-दिल ने किए तामीर हक़ीक़त के सुतूँ
तू ही बता दे कैसे काटूँ
तिरी जुस्तुजू तिरी आरज़ू मुझे काम तेरे ही काम से
लोग कहते रहे क़रीब है वो
बुरी तक़दीर के रोने से हासिल
मरने के बअ'द कोई पशेमाँ हुआ तो क्या
कितने ही फूल चुन लिए मैं ने